देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार आज शाम ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत पाकिस्तान की सीमा से सटे छह राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में मॉक ड्रिल आयोजित कर रही है। इस सुरक्षा अभ्यास का मकसद युद्ध जैसी आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी का परीक्षण करना है।
✦ किन राज्यों में हो रही है मॉक ड्रिल?
इस मॉक ड्रिल का आयोजन राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में किया जा रहा है। यह ड्रिल मूल रूप से गुरुवार को प्रस्तावित थी, लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसे एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था। ड्रिल आज यानी शनिवार को शाम 5 बजे से शुरू होगी।
✦ मॉक ड्रिल में क्या होगा?
इस अभ्यास के दौरान दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइल हमलों की स्थिति को ध्यान में रखकर हवाई हमले का सायरन, ब्लैकआउट, लोगों की सुरक्षित निकासी, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण, और अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा जैसे कई अहम पहलुओं का अभ्यास किया जाएगा।
सायरन बजने पर नागरिकों को प्रशासन द्वारा तय किए गए सुरक्षित स्थानों पर जाना होगा। वहीं, ब्लैकआउट के दौरान सभी को घर के अंदर रहना और सभी लाइटें बंद रखना जरूरी होगा।
✦ क्या उद्देश्य है इस अभ्यास का?
केंद्र सरकार की मंशा है कि नागरिक, स्थानीय प्रशासन, आपदा प्रबंधन बल, होमगार्ड, अग्निशमन सेवा और वायुसेना के बीच तालमेल को मजबूत किया जाए ताकि किसी भी संभावित आपात स्थिति में न्यूनतम नुकसान और त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो सके।
इस अभ्यास में एनसीसी, एनएसएस, भारत स्काउट एवं गाइड जैसे स्वयंसेवी संगठन भी हिस्सा लेंगे। वायुसेना और नागरिक सुरक्षा नियंत्रण कक्ष के बीच सीधी हॉटलाइन स्थापित की जाएगी।
✦ पिछली मॉक ड्रिल कब हुई थी?
इससे पहले 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पूरे देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी। यह अभ्यास पहलगाम आतंकी हमले के बाद किया गया था। इसके पहले इतनी बड़ी मॉक ड्रिल 1971 भारत-पाक युद्ध के समय हुई थी।
✦ आम नागरिकों को क्या करना है?
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सायरन सुनते ही सुरक्षित स्थान पर जाएं
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ब्लैकआउट के निर्देशों का पालन करें
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प्रशासन के आदेशों का पूरी तरह पालन करें
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गर्भवती महिलाएं, वृद्धजन और बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें
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घबराएं नहीं, अफवाहों से बचें और सतर्क रहें
📌 निष्कर्ष:
यह मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ को परखने की कवायद है। नागरिकों की सहभागिता और सतर्कता से ही इस अभ्यास को सफल बनाया जा सकता है। सीमाओं पर बढ़ते तनाव और आतंकी खतरों के मद्देनज़र यह एक अहम कदम माना जा रहा है।
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